मैं हूँ रघू, फिलहाल किसी शहर की छोटी सी झोपडी में रह रहा हूँ| बाप मजदूर है, पर अब उस के पास कोई काम नहीं है| उस के साथ काम करने वाले बाकी साथी भी हमारी बस्ती में ही रहते हैं| जब कोई काम मिलता है तब हमें एक जगह से दूसरी जगह जाना पडता है| फिर घर, दोस्त स्कूल सब पीछे छूट जाता है| इसलिए मैं ज्यादा लोगों से बात नहीं करता| हाँ कुछ दिन स्कूल गया था, वहाँ कुछ दोस्त भी बनाए थे, लेकिन वहाँ से निकलने के बाद फिर मुलाकात नहीं हुई|
इस बस्ती में आ कर ज्यादा देर नहीं हुई है, लेकिन इमारत के काम में अफसरों ने कुछ घोटाला किया था, इसलिए सरकार ने काम रोक दिया| मैं ने सोचा, जब तक बाप को अगला काम नहीं मिलता, तब तक मैं ही कुछ काम कर लेता हूँ| तो अब मैं आस पास गाडियों की सफाई करता हूँ| वैसे अच्छे पैसे मिल जाते हैं, लेकिन मैं वो माँ के पास देता हूँ, छिपा कर रखने के लिए| वरना सारे बाप के शराब-सुट्टे में ही खर्च हो जाते हैं| बस्ती में मेरे जैसे और भी लडके हैं, ये देखिये ये चिंटू है, और वो राखा| लडकियाँ भी हैं, पर बेचारी माँओं के साथ चूल्हे की राख में खाँसती रहती हैं, तो उन से ज्यादा बात नहीं हो पाती|
राखा की माँ कल मर गई, बीमार थी बेचारी| लेकिन उस का बाप अब तक घर नहीं आया| तो सोचा, तीनों मिल कर आज के खाने का इंतज़ाम करें, मछली पकड कर| मैं ने और चिंटू ने राखा को दाँव बनाना तो सिखाया, पर उसे लग रहा है कि हम ने गलत सिखाया| उसकी भी गलती नहीं, आज पता नहीं क्यों, सिर्फ पलास्टिक की थैलियाँ और फूलों के हार ही निकल रहे हैं|
वो सूंड वाले भगवान कब आने वाले हैं? मेरे खयाल से दो महीनों बाद.. उन के पिछले साल के मंडपों से बहुत सारे हार इस तालाब में मिल रहे हैं| मुझे तो लगता है कुछ दिनों बाद यह पानी का नहीं, फूलों का तालाब बन जाएगा! “सडे हुए फूल और कूडे का तालाब” को आप की अंग्रेजी में क्या कहते है? जवाब ढूँढ कर मुझे ज़रूर बताना..
फिलहाल तो मुझे मछली पकडनी है, उम्मीद है, रात होने तक कुछ न कुछ तो ज़रूर मिलेगा..
GOOD STORY
LikeLike
Thanks!
LikeLike